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यादों के झरोखे भाग १९

डायरी दिनांक ०२/१२/२०२२

  रात के आठ बजकर दस मिनट हो रहे हैं ।

  परसों एक ऐसी घटना घटित हुई जिसका उल्लेख अविस्मरणीय संस्मरणों में किया जा सकता है। जैसा कि विदित है कि मैं बहुत से साहित्यिक समूहों पर जुड़ा हुआ हूँ। उनमें से कुछ साहित्यिक समूहों पर मेरे किसी परिचित साहित्यकार ने मुझे जोड़ा है तो कुछ ऐसे समूह भी हैं जिनपर मुझे किसने जोड़ा है, यह मुझे भी नहीं पता। अलबत्ता जिस समूह में मैं जुड़ा हूँ, वहां से मैं बेबजह बाहर नहीं आता। कुछ समूहों पर तो कई बार पूर्ण असाहित्यिक संदेश भी आते रहते हैं।

  ऐसे ही एक समूह पर आपत्ति में आर्थिक सहायता मांगने का संदेश प्रचारित हो रहा था। आर्थिक रूप से परेशान सज्जन गोंडा के एक साहित्यकार बताये जा रहे थे। उन सज्जन के बैंक खाते का पूरा व्यौरा दिया हुआ था।

  ऐसे में उन साहित्यकार बंधु के विषय में जानने की इच्छा हुई। तथा उनकी कोई सही जानकारी नहीं मिल पायी। एक सूचना के अनुसार इस नाम के व्यक्ति वैवाहिक विज्ञापनों के समायोजन का कार्य करते हैं। पर जो आर्थिक संकट में हैं, वह वहीं हैं या कोई और, पता नहीं चला।

  पता नहीं कि लोग इस तरह कैसे खुलेआम किसी से भी धनराशि मांगने लगते हैं। उससे भी बड़ी बात कि इस तरह पूरी तरह अनजान व्यक्ति को लोग किस तरह पैसे देने लगते हैं। जबकि अपनी जानकारी में ही कितने लोग परेशानी में हैं तथा उनकी तो कभी आर्थिक सहायता नहीं की।

  जब पग पग पर धोखों की गाथाएं मौजूद हों तब किसी पर भी आसानी से विश्वास नहीं करना चाहिये। यह तो समूह के प्रबंधकों की जिम्मेदारी है कि समूह पर ऐसे मैसेज भेजने बालों को रोकें तथा यदि वे रोकने पर भी न मानें तो उन्हें समूह से निष्कासित करें।

  अभी के लिये इतना ही। आप सभी को राम राम ।

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3 Comments

Gunjan Kamal

05-Dec-2022 07:10 PM

👏👌🙏🏻

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Pratikhya Priyadarshini

02-Dec-2022 10:03 PM

Behtreen

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Peehu saini

02-Dec-2022 09:43 PM

Bahut khoob 😊

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